उत्तराखंड राज्य में नर्सिंग शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। राज्य की एक एम्पावर्ड कमेटी ने प्रस्तावित किया है कि 39 कॉलेजों में नर्सिंग से संबंधित कोर्स (विशेष रूप से बी.एससी नर्सिंग) के लिए 1,790 नई सीटें बढ़ाई जाएँ।
उत्तराखंड, अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, लेकिन स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के मामले में हमेशा से ही चुनौतियों का सामना करता रहा है। राज्य में पर्वतीय इलाकों की वजह से मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने में कठिनाई होती है, जिससे नर्सिंग जैसे सहायक स्वास्थ्य पेशेवरों की मांग हमेशा ऊंची रही है। वर्तमान में, स्टेट नर्सिंग काउंसिल के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 तक राज्य में कुल 21,541 नर्सें पंजीकृत हैं। साथ ही, सरकारी और निजी नर्सिंग कॉलेजों में लगभग 9,806 छात्र नर्सिंग प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
हालांकि, यह संख्या राज्य की बढ़ती आबादी और पर्यटन-आधारित स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है। कोविड-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य क्षेत्र में नर्सिंग की भूमिका और स्पष्ट हो गई। नर्सें न केवल रोगी देखभाल में सहायक हैं, बल्कि वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों और समुदाय स्वास्थ्य कार्यक्रमों का अभिन्न अंग हैं। उत्तराखंड सरकार ने इस कमी को दूर करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें नई सीटों की मंजूरी एक प्रमुख है।
इस निर्णय से पहले, राज्य में बीएससी नर्सिंग, जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) और एएनएम (ऑक्सिलरी नर्स मिडवाइफरी) जैसे कोर्सों में सीमित सीटें उपलब्ध थीं। लेकिन अब, 39 कॉलेजों – जिनमें सरकारी और निजी दोनों शामिल हैं – को नई क्षमता बढ़ाने की अनुमति मिल गई है। यह कदम न केवल छात्रों को अधिक अवसर देगा, बल्कि राज्य के स्वास्थ्य मानव संसाधनों को मजबूत करेगा।
क्यों है यह बदलाव ज़रूरी?
1. स्वास्थ्य-सेवा की बढ़ती मांग –
उत्तराखंड जैसे राज्य में नर्सिंग पेशे को बढ़ावा देना सड़क किनारे नहीं रखा जा सकता। स्वास्थ्य-सेवा के क्षेत्र में प्रशिक्षित सही कर्मी-बल की आवश्यकता निरंतर बढ़ रही है।
2. शिक्षार्थियों को अवसर –
नर्सिंग एबी-पाठ्यक्रम (B.Sc, GNM इत्यादि) में प्रवेश-संख्या बढ़ने से युवा-पात्रों के लिए अवसर बढ़ेंगे।
3. क्षेत्रीय संतुलन –
पहाड़ी एवं सुदूर क्षेत्रों में संसाधनों की कमी रहती है; सीटों की वृद्धि के बाद इन क्षेत्रों में भी बेहतर वितरण संभव होगा।
4. शिक्षा-मानकों में सुधार –
नए-सेटअप और बढ़ती-सीटें यह संकेत देती हैं कि राज्य सरकार स्वास्थ्य-शिक्षा को महत्व दे रही है।
किस प्रकार बढ़ाई जाएँगी सीटें?
- 39 कॉलेजों ने अपनी प्रस्ताव-फाइल कमेटी को प्रस्तुत की।
- कमेटी ने सामाजिक, भौतिक (इंफ्रास्ट्रक्चर) तथा शिक्षण-शिक्षक क्षमता की आधार पर संस्तुति दी।
- अब राज्य स्वास्थ्य विभाग व शिक्षा विभाग द्वारा औपचारिक अनुमति जारी की जाएगी, उसके बाद कॉलेजों को नई सीटों के साथ प्रवेश लेना शुरू करना होगा।
- उत्सुक अभ्यर्थी कॉलेजों की वेबसाइट व राज्य शिक्षा पोर्टल पर अपडेट्स देखने का सुझाव है।
अभ्यर्थियों को क्या जानना होगा?
- जिन कॉलेजों को मंजूरी मिलेगी, वे नए साल में प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं।
- प्रवेश-शर्तें, शुल्क, सीट-वर्गीकरण (आरक्षित/अनारक्षित) आदि कॉलेज-आधारित होंगी; इसलिए हर कॉलेज की आधिकारिक सूचना अवश्य देखें।
- यदि आपने पहले प्रवेश परीक्षा या मेरिट-लिस्ट की तैयारी की है, तो इस बदलाव से आपको लाभ मिल सकता है क्योंकि सीटों की संख्या वृद्धि से प्रतियोगिता कुछ कम हो सकती है।
- कॉलेज चयन करते समय अनिवार्य रूप से यह देखें कि वह संस्थान Indian Nursing Council (INC) अथवा राज्य नर्सिंग काउंसिल द्वारा मान्यता प्राप्त है।
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महत्वपूर्ण तथ्य
| बिंदु | विवरण |
| कुल नई सीटें | 1790 |
| मंजूर कॉलेजों की संख्या | 39 |
| कोर्स अवधि | 4 वर्ष |
| योग्यता | 12वीं (PCB विषयों के साथ) |
| सेशन शुरू होने की संभावना | 2025-26 |
| आधिकारिक वेबसाइट | https://uknursingcouncil.org/ |
| औसत फीस (अनुमानित) | 50,000 – ₹1,00,000 प्रति वर्ष |
| प्रवेश माध्यम | Entrance Exam / Merit |
| राज्य | उत्तराखंड |
संभावित चुनौतियाँ और सुझाव
इंफ्रास्ट्रक्चर का अभाव:
सिर्फ सीटें बढ़ जाना पर्याप्त नहीं; कॉलेजों को शिक्षण-लैब, हॉस्टल, क्लीनिकल लेबोरेटरी व पर्याप्त शिक्षक भी चाहिए।
गुणवत्ता में गिरावट:
सीट संख्या बढ़ने पर गुणवत्ता सुनिश्चित करना चुनौती बन सकता है; अभिभावकों व विद्यार्थी-गण को मानक देखना होगा।
प्रवास एवं अधिग्रहीत अनुभव:
विशेष रूप से पहाड़ी व सीमांत इलाकों में कॉलेजों को प्रशिक्षित क्लीनिकल अनुभव सुनिश्चित करना होगा।
स्थिति-अपडेट:
नियमित रूप से राज्य स्वास्थ्य व शिक्षा विभाग की वेबसाइट्स व कॉलेज पोर्टल्स चेक करें।

आगे क्या होगा?
यह वृद्धि-कार्रवाई तभी सफल मानी जाएगी जब इसे व्यवहार-स्तर पर सही तरीके से लागू किया जाए। अगले कुछ माह में उम्मीद है कि कॉलेजों को सीट बढ़ोतरी की औपचारिक अनुमति मिल जाएगी तथा 2025-26 शैक्षणिक सत्र में नए बदलाव के साथ प्रवेश प्रक्रिया शुरू होगी। अभ्यर्थियों और उनके अभिभावकों को चाहिए कि वे समय-समय पर संबंधित कॉलेजों व राज्य पोर्टल्स पर जानकारी लेते रहें।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. यह वृद्धि किन पाठ्यक्रमों के लिए है?
मुख्य रूप से B.Sc नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए है, जहाँ 39 कॉलेजों में कुल 1,790 सीट बढ़ाई जा रही हैं।
2. कॉलेजों को यह मंजूरी कब तक मिल जाएगी?
कमेटी से संस्तुति मिल चुकी है; अब राज्य सरकार की औपचारिक अनुमति और कॉलेज-प्रमाणीकरण का इंतजार है। अक्सर प्रक्रिया में कुछ माह लग सकते हैं।
3. मैं कैसे सुनिश्चित करूं कि जिस कॉलेज में प्रवेश ले रहा हूँ, वह मान्यता प्राप्त है?
कॉलेज वेबसाइट पर देखें कि क्या उस संस्थान का नाम INC की सूची में है। आप https://uknursingcouncil.org/ लिंक का उपयोग कर सूची देख सकते हैं।
4. सीट बढ़ने से मेरे लिए क्या लाभ है?
प्रतिस्पर्धा में थोड़ी कमी हो सकती है, प्रवेश-अवसर बढ़ सकते हैं और चयन-सुनियोजन (counselling) में विकल्प अधिक मिल सकते हैं।
5. क्या सिर्फ सीट बढ़ोतरी से शिक्षा-गुणवत्ता सुनिश्चित हो जाएगी?
नहीं। सीट बढ़ना सकारात्मक कदम है लेकिन शिक्षण संसाधन, क्लीनिकल अनुभव, योग्य शिक्षक, इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि के बिना गुणवत्ता बनी नहीं रह सकती।
निष्कर्ष
उत्तराखंड में 1790 नई नर्सिंग सीटों की मंजूरी एक क्रांतिकारी कदम है, जो न केवल शिक्षा को बढ़ावा देगी बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाएगी। युवा छात्रों को अब अधिक अवसर मिलेंगे, और राज्य एक स्वास्थ्य हब के रूप में उभरेगा। यदि आप इस क्षेत्र में कदम रखने की सोच रहे हैं, तो अभी से तैयारी शुरू करें।