शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) को शिक्षकों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। यह फैसला न केवल शिक्षकों की नियुक्ति बल्कि उनकी नौकरी में निरंतरता और प्रमोशन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
भारत में शिक्षक भर्ती और प्रमोशन से जुड़ा एक ऐतिहासिक फैसला सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। अदालत ने साफ कर दिया है कि बिना टीईटी (Teacher Eligibility test) पास किए कोई भी शिक्षक नियुक्ति या प्रमोशन का दावा नहीं कर सकता। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में सुप्रीम कोर्ट ने राहत भी दी है। आइए विस्तार से जानते हैं यह फैसला क्यों महत्वपूर्ण है और इससे शिक्षकों पर क्या असर पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला: TET अब अनिवार्य
सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया, जिसमें कहा गया कि TET परीक्षा शिक्षकों के लिए अनिवार्य होगी। यह नियम कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने वाले शिक्षकों पर लागू होता है, जिन्हें न केवल नई नियुक्ति के लिए बल्कि नौकरी में बने रहने और प्रमोशन पाने के लिए भी इस परीक्षा को पास करना होगा। यह फैसला **नेशनल काउंसिल फॉ……System: …र टीचर एजुकेशन (NCTE)** द्वारा 2010 में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य शिक्षण की गुणवत्ता को बढ़ाना और राष्ट्रीय मानकों को लागू करना है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल थे, ने यह स्पष्ट किया कि जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में पांच साल से अधिक समय बाकी है, उन्हें TET पास करना अनिवार्य होगा। यदि वे ऐसा करने में असमर्थ रहते हैं, तो उन्हें इस्तीफा देना होगा या अनिवार्य सेवानिवृत्ति लेनी होगी, जिसमें उन्हें टर्मिनल लाभ मिलेंगे।हालांकि, जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में पांच साल या उससे कम समय बचा है, उन्हें इस नियम से छूट दी गई है। यह छूट उन शिक्षकों के लिए राहत की बात है, जो लंबे समय से सेवा में हैं और अब अपने करियर के अंतिम चरण में हैं।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में TET की अनिवार्यता के सवाल को एक बड़ी बेंच को सौंप दिया है, ताकि यह तय हो सके कि क्या यह नियम इन संस्थानों पर भी लागू हो सकता है और क्या यह उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
TET क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (TET) एक ऐसी परीक्षा है, जो शिक्षकों की योग्यता और शिक्षण क्षमता का आकलन करती है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षक बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सक्षम हों। यह परीक्षा NCTE द्वारा निर्धारित मानकों के आधार पर आयोजित की जाती है और इसमें शिक्षण की तकनीकों, विषय ज्ञान, और शिक्षण के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का मूल्यांकन किया जाता है।TET को अनिवार्य करने का फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता को बनाए रखना आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि TET राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण मापदंड है। यह न केवल नए शिक्षकों के लिए बल्कि पहले से कार्यरत शिक्षकों के लिए भी जरूरी है, ताकि वे आधुनिक शिक्षण तकनीकों से अपडेट रहें।
और जानकारी यहां पढ़ें -https://nsarkari.site/ibps-rrb-2025-notificationकिन शिक्षकों को मिलेगी छूट?
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि कुछ स्थितियों में छूट दी जा सकती है:
- 1. विकलांग शिक्षक – जिनकी शारीरिक परिस्थितियों के कारण परीक्षा देना संभव नहीं है।
- 2. सेवानिवृत्ति के निकट शिक्षक – जिन्हें प्रमोशन का लाभ मिलना चाहिए, लेकिन उम्र की वजह से TET देना कठिन है।
- 3. विशेष नियुक्ति वाले शिक्षक – जहां सरकार ने किसी विशेष नियम या अधिनियम के अंतर्गत नियुक्ति दी है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर
पहलू पहले की स्थिति अब की स्थिति
नई नियुक्ति TET पास होना जरूरी वही अनिवार्य
प्रमोशन कई जगह TET जरूरी नहीं अब हर जगह जरूरी
पुरानी नियुक्तिया बिना TET भी मान्य सीमित छुट, प्रमोशन नहीं
छुट राज्य सरकार तय करेगी अब केवल विशेष परिस्थितियों में

TET परीक्षा 2025: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बिना TET नौकरी या प्रमोशन नहीं | शिक्षकों को मिलेगी छूट
क्यों जरूरी है TET परीक्षा?
- 1. शिक्षा की गुणवत्ता – केवल योग्य और प्रशिक्षित शिक्षक ही बच्चों को पढ़ा सकें।
- 2. राष्ट्रीय मानक – पूरे देश में शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया एक समान रहे।
- 3. करियर ग्रोथ – TET पास शिक्षक को प्रमोशन और अवसर मिलने की संभावना अधिक।
- 4. पारदर्शिता – नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता आती है।
शिक्षकों के लिए संदेश
यदि आप शिक्षक हैं और अभी तक TET पास नहीं किया है तो यह आपके लिए अंतिम चेतावनी जैसा है।
• प्रमोशन पाना है तो TET क्लियर करना ही होगा।
• नई नियुक्ति के लिए तो TET हमेशा से अनिवार्य था।
इसलिए समय रहते परीक्षा की तैयारी शुरू करें और अपने करियर को सुरक्षित बनाएं।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत की शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता और पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम है।अब हर शिक्षक को यह समझ लेना चाहिए कि TET पास करना केवल औपचारिकता नहीं बल्कि करियर की जरूरत है।सरकार ने जिन विशेष मामलों में छूट दी है, वे अपवाद हैं, लेकिन सामान्य रूप से TET पास करना ही एकमात्र रास्ता है।
1.क्या बिना TET पास किए नौकरी मिल सकती है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अब बिना TET पास किए किसी भी स्तर पर शिक्षक नियुक्ति संभव नहीं है।
2. क्या पहले से कार्यरत शिक्षकों को बाहर किया जाएगा?
नहीं, पहले से कार्यरत शिक्षकों को बाहर नहीं किया जाएगा, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिलेगा।
3. क्या राज्य सरकारें अपने स्तर पर छूट दे सकती हैं?
केवल विशेष परिस्थितियों में, जैसे विकलांगता या सेवानिवृत्ति के निकट मामलों में।
4. TET की वैधता कितनी होती है?
फिलहाल, TET सर्टिफिकेट आजीवन मान्य है|